बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
अथवा
वैदिककालीन सैन्य पद्धति से महाकाव्यकालीन सैन्य पद्धति की तुलनात्मक विवेचना
कीजिए।
अथवा
महाकाव्य कालीन सैन्य पद्धति का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
रामायणकालीन सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाकाव्य कालीन सैन्य व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाकाव्य कालीन सैन्य संगठन एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाभारत कालीन (Epicage) सैन्य व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. रामायणकालीन सैन्य व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
2. महाकाव्यों में सैन्य संगठन का वर्णन कीजिए।
3. महाकाव्य काल की युद्धकला पर टिप्पणी लिखिये।
4. रामायण कालीन सैन्य शास्त्रस्त्रों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर -
(Military System in Epic and Puranic Age)
1. ऐतिहासिक दृष्टिकोण - 1. महाभारत तथा रामायण धार्मिक ग्रन्थ हैं परन्तु साथ ही यह दोनों महाकाव्य प्राचीन भारतीय सैन्य पद्धति के मूल स्रोत माने जाते हैं। संपूर्ण रामायण एवं महाभारत संग्रामों की चर्चा से भरा पड़ा है। इनमें विविध सामरिक योजनाओं, सैन्य संचालन की विधियों, दुर्गीकरण, व्यूह रचना एवं विविध अस्त्रों तथा कवच आदि का उल्लेख किया गया है। इन दोनों महाकाव्यों के काल एक न होने पर आदिकालीन संस्कृति के लिए समान प्रकाश वाला है।
2. युद्ध के कारण - महाकाव्य काल में सैन्य पद्धति काफी सुदृढ़ हो चुकी थी। इस काल में शासन क्षत्रियों के हाथ में था। क्षत्रियों के लिए युद्ध भूमि में हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर करना गौरव की बात समझी जाती थी। क्षत्रिय युद्ध करना अपना सौभाग्य समझते थे।
अपने-अपने राज्यों की सीमाओं का विस्तार करने में प्रायः युद्ध हुआ करते थे। कौरव तथा पाण्डवों के मध्य भी युद्ध राज्य प्राप्ति के लिए हुआ था। श्री राम ने भी राज्य विस्तार के लिए युद्ध किया था। महाभारत के शान्ति पर्व में एक स्थान पर लिखा है "राजा भूमि की प्राप्ति के लिए युद्ध करते हैं. क्योंकि भूमिदायिनी है।
राज-कन्याओं के लिए भी युद्ध होते थे। द्रौपदी का अपहरण करते समय पाण्डवों ने जयद्रथ को युद्ध में परास्त किया था।
जब कोई राजा किसी राजकुमारी या रानी का अपहरण कर लेता था तो युद्ध छिड़ जाते थे, जैसे राम और रावण युद्ध, बाली और सुग्रीव युद्ध आदि।
मैत्री सम्बन्ध बनाये रखने में भी युद्ध छिड़ जाते थे। प्रतिशोध की ज्वाला में भी युद्धों की शुरूआत हो जाती थी।
-इस प्रकार महाकाव्यकाल में युद्धों के अनेकों कारण हैं -
3. सेना का संगठन तथा अंग - महाकाव्य काल में सेना में हाथी और अश्व सेना और जुड़ गई। इस तरह महाकाव्य काल में सेना के चार अंग हो गये हैं-
(1) पदाति सेना,
(2) स्थ सेना,
(3) अश्व सेना
(4) गज सेना।
जिस राजा के पास यह चारों सेनाएँ होती थीं उसे 'चतुरंगिणी सेना' का राजा कहा जाता था। यानी कि इन चारों सेनाओं को चतुरंग बल कहा जाने लगा। महाभारत में तो सेना के आठ अंग बताये गये हैं जो पैदल, रथ, हाथी, घोड़े, जलयान, विशिष्टि (Commissariate and Transport) चर, तथा देशिक (Local Guide) है।
सेना में वंश परम्परागत क्षत्रियों को सम्मिलित किया जाता था। इसीलिए सैनिकों को वृत्ति नकद न मिलकर जागीर के रूप में मिलती थी। आदि पर्व में सैन्य संगठन का जो विवरण मिलता है उसके अनुसार सबसे छोटी इकाई 'पट्टी' जिसमें 1 स्थ, 1 हाथी, 3 घोड़े और 5 पैदल होते थे और सबसे बड़ी यूनिट 'अक्षौहिणी' होती थी। महाभारत में उल्लेख है कि कुरुक्षेत्र के मैदान में पाण्डवों की सात और कौरवों की ग्यारह अक्षौहिणी सेनायें थीं। प्रत्येक अक्षौहिणी के पृथक-पृथक सेनापति थे। जिसको निम्न प्रकार दर्शाया है-
क्र०सं० | इकाई | स्थ | हाथी | अश्व | पैदल |
1. | पट्टी. | 1 | 1 | 3 | 5 |
2. | सेनामुख (3 पट्टी), | 3 | 3 | 9 | 15 |
3. | गुल्म (3 सेनामुख), | 9 | 9 | 27 | 45 |
4. | गण (3 गुल्म), | 27 | 27 | 81 | 135 |
5. | वाहिनी (3 गण). | 81 | 81 | 243 | 405 |
6 | पृतना (3 वाहिनी), | 243 | 243 | 729 | 1215 |
7. | 7. चम् (3 पृतना). | 729 | 729 | 2187 | 3645 |
8. | 8. अणिकणी (3 चम्). | 2187 | 2187 | 6561 | 10935 |
9. | 9. अक्षौहिणी(3अणिकणी). | 21870 | 21870 | 65610 | 32805 |
4. अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण - महाकाव्य काल में विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों की सहायता से युद्ध लड़े जाते थे। महाभारत के सेनानी भीषण अस्त्रों व शस्त्रों का प्रयोग करते थे। हर शस्त्र चलाने के लिए अलग-अलग सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता था। जैसे अर्जुन धनुष चलाने में, भीम गदा चलाने में और कृष्ण सुदर्शन चक्र चलाने में निपुण थे। राम 55 दिव्यास्त्र चलाना जानते थे। इस काल के प्रमुख हथियार धनुष-बाण, कृति (कृपाण), अति (तलवार), कुन्त (भाला), वज्र, गदा, त्रिशूल आदि थे। शरीर की सुरक्षा के लिए ढाल तथा धातु सोने, चांदी, तांबे, लोहे आदि के बने कवच प्रयोग में लायें जाते थे।
5. सैनिकों का चयन - इस काल में सैनिकों का चयन अत्यन्त सावधानी से किया जाता था। सेना में अधिकांश क्षत्रिय जाति के व्यक्ति ही भर्ती किये जाते थे। मनु ने लिखा है कि कुरुक्षेत्र, मत्स्य, पांचाल तथा सूरसेन जनपदों के व्यक्ति अधिक वीर होते थे और उन्हीं को सेना में भर्ती किया जाता था। सैनिकों के भरण-पोषण के लिए वेतन देने की प्रथा थी।
सैनिकों को रणभूमि में जाने के लिए अलग से भत्ता दिया जाता था। सेना में वही व्यक्ति भर्ती किये जाते थे जिसकी छाती चौड़ी बड़ी आंखें तथा देश पर मर मिटने की भावना होती थी।
6. सैनिकों का प्रशिक्षण - महाकाव्यों के काल में सेना को पूर्ण रूप से प्रशिक्षण दिया जाता था। कुछ व्यक्ति युद्धकाल में सेना में भर्ती होने आते थे। यह व्यक्ति ग्राम-पाठशालाओं में मुनियों द्वारा खोले गये आश्रमों से युद्ध-विद्या की शिक्षा प्राप्त करके आते थे।
सैन्य प्रशिक्षण केन्द्रों में उन्हीं सैनिकों को प्रवेश दिया जाता था जो सैन्य - शिक्षा के जिज्ञासु होते थे। प्रशिक्षण के उपरान्त इन सैनिकों से परीक्षा ली जाती थी। भगवान परशुराम ने भीष्म, द्रोण, कर्ण आदि को सैन्य विज्ञान की शिक्षा प्रदान की थी। भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने गुरु संदीपणी के आश्रम में सैन्य शिक्षा प्राप्त की थी।
7. युद्धकला - महाकाव्य काल में युद्धों को बहुत सोच-विचारकर लड़ा जाता था। युद्ध करने से पूर्व ज्योतिषी तथा राज पुरोहित शुभ मुहुर्त तथा लग निकालते थे और फिर युद्ध को प्रस्थान करते थे। महाभारत में भीष्म ने कहा है कि "जो राजा शुभ मुहूर्त में नक्षत्र तथा चन्द्रमा का विचार करके यात्रा करते हैं उनकी विजये निश्चित होती है।
महाकाव्य काल में युद्ध व्यूहरचना करने के बाद लड़ा जाता था। संक्षेप में उस काल के प्रसिद्ध व्यूह इस प्रकार थे -
(1) दण्ड व्यूह,
(2) वराह व्यूह
(3) शकट व्यूह
(4) मकर व्यूह
(5) सूची व्यूह
(6) गरुड़ व्यूह
(7) वज्र व्यूह
(8) कमल व्यूह
इस काल में दो प्रकार के युद्ध लड़े लड़े जाते थे -
(1) धर्म युद्ध
(2) कूट युद्ध
धर्म युद्ध नियमानुसार लड़ा जाता था तथा कूट युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए हर प्रकार की छल, कपट जैसी कूटनीतियों का सहारा लिया जाता था। महाभारत तथा रामायण में दोनों प्रकार के युद्धों का सहारा लियागया था। धर्म युद्ध में कुछ नियम होते थे परन्तु अधिकतर इन नियमों का उल्लंघन करके युद्ध कूटनीति से लड़े गये और इस काल के युद्धों में कूट युद्धों का महत्व बढ़ा। महाभारत में भी कूट युद्ध का प्रयोग करके ही भीम ने दुर्योधन की नाभि के नीचे प्रहार करके उसे परास्त किया था। कर्ण को भी अर्जुन ने छल से मारा।
निष्कर्ष - महाकाव्य काल में वैदिक काल के दो सैन्य अंगों को बढ़ाकर चार कर दिया गया। इसलिए इसे चतुरंग बल कहा गया। इस काल में युद्धों को समरतांत्रिक ढंग से लड़ा गया। युद्धों को लड़ने के विशेष कारण होते थे। सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था। सेना में क्षत्रियों को आधेक भर्ती किया जाता था। युद्ध शिक्षा के केन्द्र खुल गये थे जहाँ से प्रशिक्षण लेकर सैनिक भर्ती होते थे। सैनिकों को व्यूहबद्ध करके युद्ध लड़े जाते थे।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला